6/1/09

यज्ञ-प्रार्थना

पूजनीय प्रभो! हमारे भाव उज्वल कीजिये।
छोड देवे छल-कपट को, मानसिक बल दीजिए॥

वेद की यागे ऋचा, सत्य को धारण करे।
हर्ष मे हो मग्न सारे, शोकसागर से तरे॥

अश्वमेधादिक रचा यज्ञ पर-उपकार को।
धर्म-मर्यादा चला कर, लाभ दे संसार को॥

नित्य श्रध्दा भक्ति से, यज्ञादी हम करते रहें।
रोग-पीडित विश्व के संताप सब हरते रहें॥

भावना मिट जाए मन से पाप अत्याचार की।
कामना पूर्ण होवे यज्ञ से नरनारि की॥

लाभकारी हो हवन हर जीवधारी के लिए।
वायुजल सर्वत्र हो शुभ गंध को धारण किए॥

स्वार्थ भाव मिटे हमारा प्रेम-पथ विस्तार हो।
'इदं न मम' का सार्थक प्रत्येक मे व्यवहार हो॥

प्रेम रस मे मग्न हो कर वंदना हम कर रहे।
नाथ करुणारुप करुणा आपकी सब पा रहे॥


या प्रार्थनेचे रचनाकार कोणास माहिती असेल तर अवश्य कळवावे.

1 comment:

shete anupam said...

Pandit shri ram sharma acharya...gayatri pariwar